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जानिये काल सर्प के सटीक उपाय

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kalsarp dosh ke upaay
February 21, 2023

कालसर्प योग के प्रकार, मूलरुप से इस समय 12 प्रकार के कालसर्प योग है जो विख्यात सर्पों के नाम पर आधारित है कई बार यह योग जातक को बहुत ऊंचाई पर भी ले जाते है इसलिए ऐसा कहना गलत होगा की यह सब के लिए अशुभ है आइये जानते है 12 प्रचलित योग जो इस प्रकार से है-

  1. अनंत कालसर्प योग
  2. कुलिक कालसर्प योग
  3. वासुकि कालसर्प योग
  4. शंखपाल कालसर्प योग
  5. पदम कालसर्प योग
  6. महापदम कालसर्प योग
  7. तक्षक कालसर्प योग
  8. करकोटक कालसर्प योग
  9. शंखचूड़ कालसर्प योग
  10. घातक कालसर्प योग
  11. विषधर कालसर्प योग
  12. शेषनाग कालसर्प योग

1.अनंत कालसर्प योग- यदि लग्न में राहु एवं सप्तम् में केतु हो, तो यह योग बनता है. जातक कभी शांत नहीं रहता. झूठ बोलना एवं षड़यंत्रों में फंस कर कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाता रहता है।

2.कुलिक कालसर्प योग- यदि राहु धन भाव में एवं केतु अष्टम हो, तो यह योग बनता है. इस योग में पुत्र एवं जीवन साथी सुख, गुर्दे की बीमारी, पिता सुख का अभाव एवं कदम कदम पर अपमान सहना पड़ सकता है।

3.वासुकी कालसर्प योग- यदि कुंडली के तृतीय भाव में राहु एवं नवम भाव में केतु हो एवं इसके मध्य सारे ग्रह हों, तो यह योग बनता है. इस योग में भाई-बहन को कष्ट, पराक्रम में कमी, भाग्योदय में बाधा, नौकरी में कष्ट, विदेश प्रवास में कष्ट उठाने पड़ते हैं।

 4.शंखपाल कालसर्प योग- यदि राहु नवम् में एवं केतु तृतीय में हो, तो यह योग बनता है. जातक भाग्यहीन हो अपमानित होता है, पिता का सुख नहीं मिलता एवं नौकरी में बार-बार निलंबित होता है।

5. पद्म कालसर्प योग- अगर पंचम भाव में राहु एवं एकादश में केतु हो तो यह योग बनता है, इस योग में संतान सुख का अभाव एवं वृद्धा अवस्था में दुखद होता है. शत्रु बहुत होते हैं, सट्टे में भारी हानि होती है।

 6.महापद्म कालसर्प योग- यदि राहु छठे भाव में एवं केतु व्यय भाव में हो, तो यह योग बनता है इसमें पत्नी विरह, आय में कमी, चरित्र हनन का कष्ट भोगना पड़ता है।

7.तक्षक कालसर्प योग- यदि राहु सप्तम् में एवं केतु लग्न में हो तो यह योग बनता है. ऐसे जातक की पैतृक संपत्ति नष्ट होती है, पत्नी सुख नहीं मिलता, बार-बार जेल यात्र करनी पड़ती है।

8. कर्कोटक कालसर्प योग- यदि राहु अष्टम में एवं केतु धन भाव में हो, तो यह योग बनता है. इस योग में भाग्य को लेकर परेशानी होगी. नौकरी की संभावनाएं कम रहती है, व्यापार नहीं चलता, पैतृक संपत्ति नहीं मिलती और नाना प्रकार की बीमारियां घेर लेती हैं।

9.शंखचूड़ कालसर्प योग- यदि राहु सुख भाव में एवं केतु कर्म भाव में हो, तो यह योग बनता है. ऐसे जातक के व्यवसाय में उतार-चढ़ाव एवं स्वास्थ्य खराब रहता है।

10.घातक कालसर्प योग- यदि राहु दशम् एवं केतु सुख भाव में हो तो यह योग बनता है. ऐसे जातक संतान के रोग से परेशान रहते हैं, माता या पिता का वियोग होता है।

11.विषधर कालसर्प योग- यदि राहु लाभ में एवं केतु पुत्र भाव में हो तो यह योग बनता है. ऐसा जातक घर से दूर रहता है, भाईयों से विवाद रहता है, हृदय रोग होता है एवं शरीर जर्जर हो जाता है।

12.शेषनाग कालसर्प योग- यदि राहु व्यय में एवं केतु रोग में हो, तो यह योग बनता है. ऐसे जातक शत्रुओं से पीड़ित हो शरीर सुखित नहीं रहेगा, आंख खराब होगा एवं न्यायालय का चक्कर लगाता रहेगा।

काल सर्प योग में जन्मे जातक में प्रायः निम्नलिखित लक्षण  पाए जाते है।

1- सपने में उसे नदी, तालाब,कुए,और समुद्र का पानी दिखाई देता है।

2- सपने में वह खुद को पानी में गिरते एवं उससे बाहर निकलने का प्रयास करते करते हुए देखता है।

3- रात को उल्टा होकर सोने पर ही चेन की नींद आती है। 4- सपने में उसे मकान अथवा पेरो से फल आदि गिरते दिखाई देता है।

कालसर्प दोष भंग के लिए दैनिक छोटे उपाय

1. 108 राहु यंत्रों को जल में प्रवाहित करें।

2. सवा महीने जौ के दाने पक्षियों को खिलाएं।

3. शुभ मुहूर्त में मुख्य द्वार पर अष्टधातु या चांदी का स्वस्तिक लगाएं और उसके दोनों ओर धातु निर्मित नाग.।

4. अमावस्या के दिन पितरों को शान्त कराने हेतु दान आदि करें तथा कालसर्प योग शान्ति पाठ कराये।

5. शुभ मुहूर्त में नागपाश यंत्रा अभिमंत्रित कर धारण करें और शयन कक्ष में बेडशीट व पर्दे लाल रंग के प्रयोग में लायें।

6. हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान पर सिंदूर, चमेली का तेल व बताशा चढ़ाएं।.

7. शनिवार को पीपल पर शिवलिंग चढ़ाये व मंत्र जाप करें (ग्यारह शनिवार)

8. सवा महीने देवदारु, सरसों तथा लोहवान – इन तीनों को जल में उबालकर उस जल से स्नान करें।

9. काल सर्प दोष निवारण यंत्रा घर में स्थापित करके उसकी नित्य प्रति पूजा करें।

10. सोमवार को शिव मंदिर में चांदी के नाग की पूजा करें, पितरों का स्मरण करें तथा श्रध्दापूर्वक बहते पानी में नागदेवता का विसर्जन करें।

11. श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें।

12. प्रत्येक सोमवार को दही से भगवान शंकर पर – हर हर महादेव’ कहते हुए अभिषेक करें। हर रोज श्रावण के महिने में करें।

13. सरल उपाय- कालसर्प योग वाला युवा श्रावण मास में प्रतिदिन रूद्र-अभिषेक कराए एवं महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज करें।

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