Ram Prashnavali

Answer From BalKand #6318

Answer to your question is NEGATIVE
Positive Result इस कार्य में भलाई नहीं है। कार्य की सफलता में संदेह है।

चौपाई : उघरहिं अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू॥

राम चरित मानस में स्थान : यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग वर्णन के प्रसंग में है।

अर्थ : बहुरूपिए भी यदि साधु का वेष बना लें तो संसार उनके वेष के प्रभाव से उनकी वंदना करता है, परन्तु एक न एक दिन उनकी प्रकृति सामने आ ही जाती है. उनका कपट सदा के लिए छिप सकता जैसे कालनेमि, रावण और राहु का सत्य सामने आ ही गया.

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